Monday, April 27, 2015

बोधि वृक्ष : क्यों और कैसे ?

इस ब्लॉग की नींव रात के एक सपने   से होती  की    जैसा की आप जानते हैं

दिल्ली के एक राजनैतिक कार्यक्रम में एक किसान राजस्थान के सुदूर गाँव से चल कर आता  है, शायद इसलिए की कोई उसे सुनने  वाला मिल जाए.......लेकिन वह अपनी जिंदगी समाप्त कर लेता है।   

शायद यह उसकी आखिरी कोशिश रही होगी।  वह चिल्लाता रहता है और लोग उसका मज्जाक उड़ाते रहते है। घटना दिल दहला देती है. मुझे रात में नींद भी किसान का छोड़ा हुआ प्रश्न बार-बार आते रहता है. ऐसा लग  रहा था की मेरा शिक्षक हमसे सवाल कर रहा हो: राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण के  युग  में तुम किसान-समस्या को कैसे समझते हो? (How do you see 'the peasant question' in this age of nationalism and globalisation?यह मार्मिक घटना देश के राजनेताओं, नीति निर्माताओ, और भाग्य विध्ताओं के लिए Eye-Opener साबित हो सकता है। सुबह होते ही  मेरा मन भरा-भरा सा  लग रहा था. फलतः  मैंने अपने विचार को रखनी की कोशिश की. और यह ब्लॉग, जिसे  आप किसी भी नाम से पुकारे, आपके सामने रहा। 

मगध का यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि  से 
काफी महत्वपूर्ण हैं और देश के सबसे खूबसूरत इलाको में से एक है। यह क्षेत्र कभी पुरे हिंदुस्तान पर राज किया करता था. देश के प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर ने बिहार को 'भारत का ह्रीदय' यानी Heart of India कहा है। 


मेरी कोशिश होगी कि इस ब्लॉग के द्वारा इतिहास को देख सकूँ, वर्तमान को परख सकूँ तथा भविष्य से जुड़ सकूँ, ताकी हमारी भी जड़े पीपल के तरह हीं गहरी और मजबूत हों ओर दुनिया के किसी भी हिस्से में जाये तो कह सके की हम ज्ञान-स्थली (The Land of  Enlightement) के निवासी है. 

The Bodhi Tree यानी बोधी वृक्ष, गाँव घर में हम-लोग इसे पीपल का पेड़
के रूप में जानते है। पीपल का पेड़ का हिन्दू और बौद्ध धर्म में खास महत्व है. हमारे यहाँ इसे शनि को खुश करने के लिए पूजा जाता है. और ऐसा विश्वास है शनि के पेड़ में लक्ष्मी का निवास होता  है. महात्मा बुद्ध ज्ञान-प्राप्ति के सात दिन बाद तक बोधगया में बोधी बृक्ष के नीचे चिंतन  करते  रहे थे। यह बोधी बृक्ष बाद में महाबोधी बृक्ष कहलाया। महान शासक अशोक की पुत्री संगमित्रा करीब तीसरी सदी में इस बोधी बृक्ष का जड़ श्री लंका ले गए थी। बोधगया में आज भी 288 B.C. से चले या रहे इस मूल पेड़ का हिस्सा बचा हुआ है जो महाबोधी प्रांगण के रूप में जाना जाता है. भगवदगीता में  पीपल के बृक्ष का गुणगान करते हुए श्री कृष्ण भगवान कहते है- “Among trees, I am the ashvattha.”. यही कारण है की, पीपल के  पेड़ को "ज्ञान का पेड़'  (The tree of Enlightenment) भी कहते है।


The Bodhi Tree Network
Tope, Patna
Bihar (801304)
<samrajyatope@gmail.com>

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